Saturday, August 22, 2009

होंसला न छोड़

"गिरते है शाह सवार ही
मैदाने ऐ जंग में
वो तिफ्ल क्या गिरेंगे
जो घुटनों के बल चलें "

लाख मुसीबत आए , पर जो अपना होंसला नही छोड़ता मंजिल उसे जरुर मिलती है। जब जिसने दिल से ठान लिया और जी जान से उस काम में लग गया वो काम कभी असफल हो ही नही सकता । कभी कभी हम अपनी असफलता से डर जाते है और रुक कर विलाप करने लगते है , पर जो सच मुच बहादुर है वो कभी बीती बातों का अफसोश नही करते बल्कि वो देखते है की हमसे क्या गलती हुई जिस के कारन ये काम नही हुआ और संकल्प लेते है की उस गलती को दुबारा नही करेंगे वो जमके दुबारा मेहनत कर अपनी मंजिल को पा लेते है। अपने आप पर भरोसा करना , अपनी शक्ति को जानना हर किसी के बस की बात नही और जिसने अपने मन की शक्ति को जान लिया वो दुनिया जीत सकता है ,फिर वो मिटटी को छु ले तो वो सोना बन जाए ।
किसी ने सच ही कहा है
" मौजे कभी तो हारेंगी
तेरी यकीन से
साहिल पे रोज
एक घरोंदा बनाके देख "


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